जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के एटा जिले का थाना जैथरा एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। पिछली सरकार में यह थाना 18 दिन बिना स्टाफ के चला था। ऐसी रिपोर्ट तत्कालीन एएसपी ने डकैती की रिपोर्ट दर्ज होने में देरी के मामले की जांच के दौरान लगाई थी।
इस मामले की जांच सीबीसीआईडी कर रही है। अब इसमें सीबीसीआईडी आगरा खंड के इंस्पेक्टर द्वारा तत्कालीन एसओ और मामले के विवेचक के खिलाफ जांच में लापरवाही करने का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
गौरतलब है की बिना स्टाफ 18 दिन थाना चलने और कोर्ट के आदेश के बाद भी डकैती की 18 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज किए जाने के मामले को लेकर इसकी जांच सीबीसीआईडी को सौंपी गई थी।
सीबीसीआईडी की जांच में तत्कालीन एसओ कैलाश चंद्र दुबे और मामले के विवेचक मदन मुरारी द्विवेदी की लापरवाही सामने आई। इसके बाद सीबीसीआईडी आगरा खंड के इंस्पेक्टर नागेंद्र प्रसाद तिवारी ने मामले की जानकारी एसएसपी एटा को दी।
आज नागेंद्र प्रसाद तिवारी की तहरीर पर तत्कालीन एसओ कैलाश चंद्र दुबे और मामले के विवेचक मदन मुरारी द्विवेदी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया। तत्कालीन एसओ कैलाश चंद्र दुबे इन दिनों कानपुर के थाने में तैनात हैं। वहीं दरोगा मदन मुरारी एटा के ही सकीट थाने में हैं।
ये था पूरा मामला
कस्बा जैथरा के विजेंद्र सिंह के यहां डकैती के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कार्रवाई के आदेश दिए थे। तत्कालीन सीओ धर्म सिंह मार्छल ने एसओ कैलाश चंद्र दुबे को 18 अगस्त 2016 को रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे, लेकिन एसओ ने 18 दिन बाद 3 सितंबर, 2016 को रिपोर्ट दर्ज की। जब पीड़ित ने विलंब से रिपोर्ट दर्ज करने की शिकायत कर कानूनी कार्रवाई की मांग की तो तत्कालीन एएसपी ने मामले की जांच खुद की।
एएसपी विसर्जन सिंह यादव ने 18 दिन बाद रिपोर्ट दर्ज करने के पीछे एसएसपी को भेजी जांच रिपोर्ट में लिखा कि है सीओ और आयोग का आदेश पहुंचने के वक्त थाने का पूरा स्टाफ डेंगू, चिकुनगुनिया और बुखार की चपेट में था। इसके चलते रिपोर्ट लिखने में देरी हुई। एएसपी की यह रिपोर्ट भी काफी चर्चा में रही थी।
एसएसपी स्वप्निल ममगोई की माने तो 2017 के इस मामले की जांच सीबीसीआईडी कर रही है। जांच में लापरवाही सामने आने पर दो दिन पूर्व सीबीसीआईडी के इंस्पेक्टर ने मुलाकात की थी। नियमानुसार आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इसकी जांच भी सीबीसीआईडी ही करेगी।