प्रमुख संवाददाता
कोरोना वायरस के कोहराम के बीच जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को इस महामारी से बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई पहल पर काम शुरू हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट ने जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों में सात साल से कम सजा वाले कैदियों को पेरोल पर छोड़ने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों में से सरकार ने 1618 कैदियों को रिहा कर दिया है। अन्य कैदियों की रिहाई की दिशा में काम चल रहा है।
इसी 23 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों से कहा था कि जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों को देखते हुए उन कैदियों की रिहाई की दिशा में फैसला लिया जाना चाहिए जिन्हें सात साल या उससे कम सजा दी गई है। ऐसे कैदियों को पेरोल पर रिहा कर दिया जाए तो जेलों में भीड़ को कम किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने जिस तरह के कैदियों को पेरोल पर छोड़ने का निर्देश दिया है उस श्रेणी में साढ़े 8 हज़ार विचाराधीन और ढाई हज़ार सजायाफ्ता कैदी जेलों से रिहा किये जा सकते हैं। कोरोना आपदा से निबटने के लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन कैदियों को 8 हफ्ते की ज़मानत पर छोड़ने का फैसला किया।
सरकार के निर्देश पर 1618 कैदियों को 8 हफ्ते की पेरोल पर रिहा कर दिया गया है। शेष कैदियों की रिहाई के लिए कागज़ात तैयार करने का काम चल रहा है।