न्यूज डेस्क
जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को जब विशेष दर्जा समाप्त किया गया और धारा 370 निष्प्रभावी किया गया तो सैकड़ों नेताओं कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया था। जिस पर काफी हो-हल्ला मचा था। फिलहाल नई खबर यह है कि सुरक्षा कारणों की वजह से हिरासत में लिए गए लोगों में नागालिग बच्चे भी शामिल है जिनकी उम्र 9 साल से लेकर 17 साल है।
एक अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की जुवेनाइल जस्टिस (जेजे) समिति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 5 अगस्त से अब तक 9 से 17 साल के 144 नाबालिगों को सुरक्षा कारणों से हिरासत में लिया गया।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, हिरासत में लिए गए 144 नाबालिगों में से 142 नाबालिगों को रिहा किया जा चुका है, जबकि अन्य दो अभी भी किशोर गृह में रखा गया है।
पुलिस और राज्य की अन्य एजेंसियों द्वारा मिली जानकारी के आधार पर जेजे समिति ने यह रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी।
सुप्रीम कोर्ट में बाल अधिकार कार्यकर्ता इनाक्षी गांगुली और सांता सिन्हा ने याचिका दाखिल किया था। इनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की जेजे समिति से उन आरोपों का पता लगाने और उन पर रिपोर्ट सौंपने को कहा था जिनमें कहा गया था कि राज्य में गैरकानूनी तौर पर बच्चों को हिरासत में लिया गया।
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इसके बाद जस्टिस अली मोहम्मद मागरे की अध्यक्षता वाली समिति ने राज्य एजेंसियों के साथ निचली अदालतों से भी रिपोर्ट मांगी थी।
समिति को सौंपी गई राज्य के पुलिस महानिदेशक की रिपोर्ट में किसी भी बच्चे को गैरकानूनी तौर पर हिरासत में लेने के आरोपों से इनकार किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों द्वारा किसी बच्चे को अवैध रूप से हिरासत में नहीं रखा गया है क्योंकि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।
उच्चतम न्यायालय को जेजे समिति ने यह भी बताया कि उसे किसी भी किशोर की कथित हिरासत पर कोई याचिका नहीं मिली है। हालांकि, हाईकोर्ट में उन्हें कुछ हैबियस कॉर्पस याचिकाएं मिलीं, जिसमें हिरासत में लिए गए लोगों के नाबालिग होने की बात कही गई।
अपनी रिपोर्ट में डीजीपी ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के लिए राज्य ने उप पुलिस महानिदेशक स्तर के एक केंद्रीय अधिकारी को नियुक्त किया है।
इस बीच, पिछले हफ्ते जम्मू कश्मीर सरकार ने हिरासत के आदेश को वापस लेते हुए जन सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किए गए चार में एक नाबालिग को रिहा कर दिया था। उस बच्चे को उत्तर प्रदेश के बरेली जेल में सात हफ्तों तक रखा गया था।
राज्य सरकार ने यह फैसला तब किया था जब उसके परिवार ने उसको हिरासत में लिए जाने को जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने अनंतनाग जिला प्रशासन को नाबालिग की उम्र का पता लगाने को कहा था।
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