जुबिली न्यूज डेस्क
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो माह पहले देशवासियों को संबोधित करते हुए जब आत्मनिर्भर भारत की बात कर रहे थे तो उन्होंने कहा था कि इस महामारी को अवसर में बदलिए। पीएम की इस अपील की और किसी पर कितना असर हुआ यह तो नहीं मालूम पर तमिलनाडु में कुछ अधिकारियों ने इसे सच में अवसर में बदल दिया।
जी हां, तमिलनाडु में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना में 110 करोड़ का घोटाला सामने आया है। इस घोटाले को सरकारी अफसरों, स्थानीय नेताओं की मदद से ऑनलाइन धोखधड़ी के जरिए इस घोटाले को अंजाम दिया गया है।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वायरस के फैलने के बाद लगभग साढे पांच लाख लोगों को इस लिस्ट में जोड़ा गया जिसमें बड़ी संख्या में अपात्र थे। कोरोना के कारण लॉकडाउन होने के बाद सरकार ने स्कीम के अंतर्गत क्लीयरेंस नार्मस में कुछ छूट प्रदान की थी, जिसका फायदा उठाकर यह फ्रॉड किया गया है।
घोटाले के ज्यादातर मामले कल्लाकुरीचि, कुड्डालोर, सलेम, धर्मपुरी, कृष्णागिरी, वेल्लोर, तिरुवन्नामलाई सहित 13 जिलों से सामने आए हैं। इस दौरान सिर्फ कुछ ही पात्र किसानों को लिस्ट में जोड़ा गया है।
सीबी-सीआईडी के एक अफसर ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया अन्य 25 जिलों में इस दौरान कुछ ही लाभार्थियों को लिस्ट में जोड़ा गया। एक बात यह भी सामने आ रही है बहुत से अपात्रों को इसके बारे में जानकारी ही नहीं थी। दलालों ने सरकार की ‘कोरोना कैश’ नामक योजना से मदद दिलाने की बात कहकर लोगों से उनकी डिटेल्स मांगी और फिर यह घोटाला किया।
इस घोटाले के बारे में बताते हुए प्रिंसिपल सेक्रेट्री गगनदीप सिंह बेदी ने कहा कि अगस्त में बड़ी संख्या में अपात्र लोगों के स्कीम का फायदा उठाने का मामला सामने आया था। दरअसल अगस्त महीने में प्रधानमंत्री किसान योजना के अचानक 45 लाख लाभार्थी हो गए जो मार्च 2020 में 39 लाख थे।
उन्होंने बताया कि इस मामले में 18 एजेंटों को गिरफ्तार कर लिया गया है, किसानों से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन से जुड़े 80 अधिकारियों को हटा दिया गया है, जबकि 34 अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। निलंबित अफसरों में कृषि विभाग के तीन असिस्टेंट डायरेक्टर भी शामिल है।
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गगनदीप सिंह बेदी ने कहा कि इस घोटाले के 110 करोड़ रूपयों में से 32 करोड़ रूपए दोबारा प्राप्त कर लिए गए हैं। ज्यादातर राशि सीधे बैंक का अकाउंट से वापस की गई है। सरकार ने अगले 40 दिनों में बची हुई राशि की वापसी की उम्मीद भी जताई है।
बेदी ने कहा अभी इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में इस मामले में कंप्यूटर सेंटर्स के माध्यम से एक क्राइम सिंडिकेट चल रहा था। दलालों ने लोगों से जानकारियां लेकर उन्हें अफसरों से प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत अप्रूव करा लिया।
बेदी ने कहा कोरोना महामारी फैलने के बाद जिला प्रशासन कोरोना के रोकथाम के लिए उपाय करने में व्यस्त हो गया। इस दौरान लाभार्थियों की सूची में अचानक उछाल आया। इससे पहले डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर लाभार्थियों के नाम को उनके जमीन रिकॉर्ड और राशन कार्ड चेक करके मंजूरी देते थे।