सैय्यद मोहम्मद अब्बास
राजनीति में कब कौन क्लीन बोल्ड हो जाये…ये किसी को पता नहीं होता है। आज आप सत्ता में है तो ये जरूरी नहीं है कि कल आपकी सत्ता हो। चुनावी दंगल में अक्सर लोग राजनीतिक मर्यादाओं को ताक पर रखते हैं। राजनीतिक दल के चेहरे पर गौर करेंगे तो उसके पीछे कई चेहरे काम करते हैं।
कुछ राजनेता अपने आपको हरीशचंद जैसा कहते हैं। दरअसल हरिश्चंद्र का मुखौटा पहनकर जनता का विश्वास जीत लेना आसान होता है लेकिन राजा हरिशचंद के ट्रैक पर चलना किसी भी राजनेता के लिए आसान नहीं होता है। अक्सर जब किसी को सत्ता का सुख मिलता है तो वो उसी का आदी हो जाता है।
उसे लगता है कि वो जो भी कह रहा है या कर रहा है वो सही है लेकिन ये गारंटी नहीं है कि कब तक जनता आपके साथ होगी। शायद दिल्ली की राजनीति की यही कहानी है।
दरअसल केजरीवाल के दौर में जहां सुशासन होने का दावा किया जाता था उसी कार्यकाल में भ्रष्टाचार की दीमक भी अंदर-अंदर सरकार को खोखला कर दिया। केजरीवाल और उनके भरोसेमंद साथी मनीष सिसोदिया इमानदारी का चोला ओढक़र जनता के बीच में भले ही खूब घुमे हो लेकिन उन दोनों ही नेताओं पर कई गंभीर आरोप लगे है।
इतना ही नहीं संजय सिंह पर कई गंभीर आरोप लगे और तीनों ही नेताओं की जेल की हवा तक खानी पड़ी। हालांकि फिलहाल तीनों नेताओं को जमानत मिल गई। शराब घोटाले उसके लिए पहले ही सिरदर्द साबित हो रहे थे और रही सही कसर अस्पतालों में नकली दवाओं व मोहल्ला क्लीनिक में फर्जीवाड़ा ने निकाल रख दी। सभी मामलों में जांच की आंच केजरीवाल तक भी जा पहुंची।
कई मामलों जांच के दायरे में भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरी रही है केजरीवाल की सरकार। इतना ही नहीं जल बोर्ड घोटाला, गलत तरीके से 38 करोड़ रुपये का ठेका देने का आरोप भी केजरीवाल सरकार पर लगा। दिल्ली को चमकाने की बात कहने केजरीवाल ने सोचा भी नहीं होगा जनता उनको इस तरह से नकार देगी।
इस चुनाव ने बड़े-बड़े दिग्गजों को पराजित होना पड़ा तो वहीं बीजेपी के कई नेताओं के करियर में जान भी फूंक दी है। चुनाव में बीजेपी ने 48 और आप ने 22 सीटें जीती हैं। बीजेपी का वोट शेयर 7 प्रतिशत तक बढ़ा तो आप का 10 प्रतिशत कम हो गया। बीजेपी को 45.56 प्रतिशत जबकि आप को 43.57 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं।
घोटाला या फिर भ्रष्टाचार हार की वजह से हो सकती है लेकिन इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ते तो शायद तस्वीर अलग होती है। हरियाणा चुनाव में कांग्रेस की सरकार बनते-बनते रह गई थी क्योंकि वहां पर आम आदमी पार्टी ने अपने प्रत्याशियों को उतार दिया था और वोट कटने की वजह से कांग्रेस को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा और यहीं सब कुछ दिल्ली में देखने को मिला।