Sunday - 27 October 2024 - 12:10 AM

एक साल में सरकारी बैंकों से हुई 1.48 लाख करोड़ रुपये की धोखाधड़ी

  • धोखाधड़ी का सबसे बड़ा शिकार बना एसबीआई
  • 18 बैंकों में सामने आए सभी फ्रॉड केस के अनुपात में देखें तो अकेले एसबीआई को ही 30 फीसदी की चपत लगी

जुबिली न्यूज डेस्क

बैंकों का सारा जोर आम आदमी और गरीबों पर चलता है। जो ईमानदार है उन्हें घंटों लाइन में खड़ा होना पड़ता है और बैंकों का पैसा डकार जाते हैं उन्हें कमरे में बुलाकर लोन दिया जाात है। इसीलिए आज सबसे ज्यादा धोखाधड़ी के शिकार बैंक हो रहे हैं।

बैंकों से धोखाधड़ी की खबरें आम हो गई है। बड़े-बड़े उद्योगपति हजारों करोड़ रुपए लोन लेकर डकार जा रहे हैं और बैंक उनका कुछ नहीं कर पा रही है। बीते वित्तीय वर्ष में सरकारी बैंकों से 1,48,427 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं।

यह आंकड़ा एक आरटीआई के माध्यम से मिला है। भारतीय रिजर्व बैंक ने आरटीआई ऐक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ की ओर से मांगी गई जानकारी के जवाब में यह आंकड़ा दिया है।

यह भी पढ़ें:यूपी में कितनी कामयाब होगी कांग्रेस की यह कोशिश

यह भी पढ़ें: EDITORs TALK : “राम मंदिर” की तारीख पर सवाल

यह भी पढ़ें: लखनऊ वासी हो जाएं अलर्ट, कोरोना के बीच नए संकट ने दी दस्तक

केंद्रीय बैंक ने कहा कि तत्कालीन 18 बैंकों से धोखाधड़ी के कुल 12,461 केस दर्ज किए गए हैं, जिनमें 1.48 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम की धोखाधड़ी हुई है। आरबीआई की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा केस भारतीय स्टेट बैंक में दर्ज किए गए हैं।

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक को धोखाधड़ी के मामलों से 44,612 करोड़ रुपये की चपत लगी है। बैंक में धोखाधड़ी के कुल 6,964 मामले सामने आए हैं। 18 बैंकों में सामने आए सभी फ्रॉड केस के अनुपात में देखें तो अकेले एसबीआई को ही 30 फीसदी की चपत लगी है।

रिजर्व बैंक के मुताबिक पंजाब नेशनल बैंक द्वारा एक अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 की अवधि में धोखाधड़ी के 395 मामले सूचित किए गए, जिसमें 15,354 करोड़ रुपये की धनराशि शामिल है। इस सूंची में बैंक ऑफ बड़ौदा तीसरे नंबर पर रहा है, जिसमें 349 फ्रॉड केस में 12,586 करोड़ रुपये की चपत लगी है।

यह भी पढ़ें :  CSA कानपुर : भ्रष्टाचार इतना कि केन्द्रीय मंत्री को लिखनी पड़ी चिट्ठी, कहा-कमिश्नर कराएं जांच

यह भी पढ़ें :  आने वाले समय में और बढ़ेंगे सोने के दाम

यह भी पढ़ें :  BJP विधायक पप्पू भरतौल का ये पत्र सोशल मीडिया में हो रहा वायरल

 

मालूम हो कि बैंक ऑफ बड़ौदा में विजया बैंक और देना बैंक का विलय एक अप्रैल, 2019 से हुआ है। फाइनेंशल ईयर 2019-20 के दौरान यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने 424 मामलों में 9,316 करोड़ रुपये की पूंजी गंवाई है। इसके अलावा बैंक ऑफ इंडिया ने 200 मामलों में 8,069 करोड़ रुपये गंवाए हैं।

वहीं केनरा बैंक ने 208 मामलों में 7,519.30 करोड़ रुपये, इंडियन ओवरसीज बैंक ने 207 मामलों में 7,275.48 करोड़ रुपये, इलाहाबाद बैंक ने 896 मामलों में 6,973 करोड़ रुपये और यूको बैंक ने 119 मामलों में 5,384 करोड़ रुपये के फ्रॉड की जानकारी दी है।

आरटीआई के तहत रिजर्व बैंक ने बताया कि एक अप्रैल, 2019 से 31 मार्च, 2020 की अवधि में ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स ने 329 मामलों में 5,340 करोड़ रुपये, सिंडिकेट बैंक ने 438 मामलों में 4,999 करोड़ रुपये, कॉरपोशन बैंक ने 125 मामलों में 4,816 करोड़ रुपये, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 900 मामलों में 3,993 करोड़ रुपये, आंध्रा बैंक ने 115 मामलों में 3,462 करोड़ रुपये, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने 413 मामलों में 3,391 करोड़ रुपये, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया ने 87 मामलों में 2,679 करोड़ रुपये, इंडियन बैंक ने 225 मामलों में 2,254 करोड़ रुपये और पंजाब ऐंड सिंध बैंक ने 67 मामलों में 397 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी दी है।

मालूम हो अब देश में अब बैंकों कह संख्या 12 ही रह गई है। पहले कुल 18 सरकारी बैंक थे, लेकिन एक अप्रैल से 10 बैंकों का आपस में विलय हुआ है और 4 नए बैंक अस्तित्व में आए हैं। इसके चलते अब देश में बैंकों की संख्या 12 ही रह गई है। यही नहीं एक रिपोर्ट के मुताबित मोदी सरकार कुछ अन्य बैंकों के निजीकरण की भी योजना बना रही है और देश में सरकारी बैंकों की संख्या 5 तक ही सीमित रखने पर विचार किया जा रहा है।

यह भी पढ़ें:यूरोप के सबसे अमीर देश का हर पांचवा बच्चा है गरीबी का शिकार

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com