न्यूज डेस्क
केरल में गर्भवती हथिनी की दर्दनाक मौत के साथ इंसानियत की भी मौत हो गई। हथिनी की मौत मानवता पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। सोशल मीडिया पर भी बुधवार को हथिनी के प्रति दुख तो शरारती तत्वों के खिलाफ गुस्सा दिखा। इस बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने ऐसा आरोप लगाया है, जिस पर सवाल उठाया गया है।
दरअसल मेनका के आरोपों को हाथियों के एक चर्चित विशेषज्ञ और हाथियों के मालिकों के प्रतिनिधि ने ‘गलत’ बताया है। एक साक्षात्कार में मेनका गांधी ने हथिनी की मौत को हत्या बताते हुए कहा कि मल्लापुरम ऐसी घटनाओं के कुख्यात है। मेनका ने आगे कहा कि भारत के ये सबसे हिंसक जिलों में से एक है। उदाहरण के तौर पर यहां सड़कों पर जहर फेंक दिया जाता है जिसे खाकर 300-400 पक्षी या कई कुत्ते एक ही बार में मर जाते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री गांधी ने हाथियों को लेकर भी बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि ‘लगभग 600 हाथी मंदिरों में टांगे तोड़कर या भूखा रखकर या निजी मालिकों द्वारा डुबाकर या जंग लगी कीलें खिलाकर मार दिए जाते हैं।’
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मेनका के इस आरोप को हाथी विशेषज्ञ और केरल फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक डॉ. पीएस ईसा ने गलत बताया है।
उन्होंने कहा कि जब पालतू हाथियों की गिनती की गई तो कुल 507 हाथी पाए गए थे। इनमें 410 नर और 97 मादा हैं। हाथियों की मौत का आंकड़ा भी उन्होंने पेश किया है। उन्होंने कहा कि साल 2017 में 17 हाथियों की मौत हुई जबकि साल 2018 में 34 और साल 2019 में 14 हाथियों की मौत हुई।
ये आंकड़े उस रिपोर्ट से हैं जो साल 2019 में डॉ. पीएस ईसा ने केरल हाई कोर्ट में पेश की थी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि साल 2007 से 2018 के बीच क्रूरता की वजह से कुल 14 हाथियों की मौत हुई।
हाथियों के साथ क्रूरता के आरोप पर डॉ. ईसा कहते हैं, ‘ऐसा संभव नहीं है क्योंकि जैसे ही ऐसी कोई घटना होगी, कोई न कोई उसके बारे में सोशल मीडिया पर लिख ही देगा और मुकदमें दर्ज हो जाएंगे। मेरे सामने कभी भी जलाने का या डुबाने का मामला सामने नहीं आया है। मैंने कभी ऐसी क्रूरता के बारे में नहीं सुना।’
साक्षात्कार में पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने एक और आरोप लगाते हुए कहा, ‘त्रिचूर के इरीनजलकुडा शहर में कूडालमिनक्यम मंदिर में एक युवा हाथी को बंधक बनाकर पीटा जा रहा है। उसकी टांगों को चार दिशानों में बांधकर खींचा जा रहा है। मैंने एक महीने पहले शिकायत की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की है। बहुत जल्द ही ये हाथी भी मर जाएगा।’
मेनका गांधी ने यह भी आरोप लगाया है कि उनकी ओर से की जाने वाली शिकायतों का जवाब नहीं दिया जाता है।
— Maneka Sanjay Gandhi (@Manekagandhibjp) June 3, 2020
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मेनका के इन आरोपों पर हाथियों के मालिकों के संगठन एलिफेंट्स ऑनर फेडरेशन के महासचिव पी शशिकुमार कुमार ने कहा, ऐसा कुछ भी नहीं है। जब क्रूरता के आरोप लगाए गए थे तो मुख्य वन अधिकारी ने एक टीम को भेजकर इसकी जांच करवाई थी। कुछ भी गलत नहीं मिला था।
शशिकुमार ने बीबीसी से बातचीत में मेनका के ओरापों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि कूडलमनिक्यम मंदिर सरकार की देखरेख में है। हाथी किसी जंजीर से नहीं बंधा है। ये मंदिर हाथियों की अच्छी देखभाल करने के लिए जाना जाता है।
शशिकुमार के मुताबिक, इस समय फेडेरेशन के 380 सदस्य हैं जिनके पास 486 पालतू हाथी हैं। गुरूवयूर में 48 हाथी हैं, कोची देवासम बोर्ड के पास 9 हाथी हैं, त्रवणकोर देवासम बोर्ड के पास 30 हाथी हैं और मालाबार देवासम बोर्ड के पास 30 हाथी हैं।
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शिवकुमार कहते हैं कि मंदिर में जब उत्सव होता है तो हाथियों के पैरों को बांधकर रखा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है कि ताकि वो अपने आप को या श्रद्धालुओं को घायल न कर दें। हाथियों के पैरों पर जरूर कुछ निशान होंगे, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपने आपको पशु अधिकार कार्यकर्ता कहते हैं और वो इसे क्रूरता की तरह दिखाते हैं। अगर हम घर में भी हाथी रखते हैं तो उसे ऐसे ही बांधकर रखते हैं जैसे कि कुत्ते को बांधकर रखते हैं।’
वहीं डॉ. पीएस ईसा स्वीकार करते हैं कि हाथियों के संरक्षण के नाम पर बहुत दिखावा भी हो रहा है। वन विभाग पशु चिकित्सकों की मदद से उत्सवों में शामिल होने वाले हाथियों की पूरी जांच-पड़ताल करता है। ऐसे में अस्वस्थ हाथियों या घायल हाथियों या शराब पिए हुए महावत के साथ हाथी को परेड में शामिल करना संभव ही नहीं है। हां मैं ये जरूर स्वीकार करता हूं कि कुछ कमियां भी हैं.’