जुबिली न्यूज डेस्क
10 सितंबर को रूस में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच हुए समझौते से पहले भारत और चीनी सेना ने पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर 100-200 बार गोली चलाई थी।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ये फायरिंग चुशुल सब सेक्टर में हुई फायरिंग से भी ज्यादा तेज थी। इंडियन एक्सप्रेस को इस पूरे मामले से वाकिफ एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि ये घटना पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर हुई थी।
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अधिकारी के मुताबिक, “दोनों पक्षों के बीच 100-200 राउंड गोलियां चलाई गईं। “इंडियन एक्सप्रेस ने इस खबर को पहले पन्ने पर लीड खबर के तौर पर प्रकाशित किया है।
मालूम हो भारत और चीन ने सात सितंबर को चुशुल सब सेक्टर में हुई फायरिंग को लेकर एक बयान जारी किया था। बयान के मुताबिक 45 वर्षों में ये पहली बार था जब एलएसी पर फायरिंग हुई।
इस घटना के बारे में भारतीय सेना ने अपने एक बयान में कहा था, “सात सितंबर, सोमवार को चीनी सेना (पीएलए) के सैनिक एलएसी पर भारत के एक पोज़िशन की ओर बढऩे की कोशिश कर रहे थे, और जब हमारे सैनिकों ने उन्हें भगाया तो उन्होंने हवा में कई राउंड फ़ायर कर हमारे सैनिकों को डराने की कोशिश की। ”
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वहीं इससे पहले चीन ने दावा किया था कि सोमवार को एलएसी पर तैनात भारतीय सैनिकों ने एक बार फिर गैर-कानूनी तरीके से वास्तविक सीमा रेखा को पार किया और चीनी सीमा पर तैनात सैनिकों पर वॉर्निंग शॉट्स फायर किया।
हालांकि पैंगोंग त्सो के उत्तरी किनारे पर 100-200 राउंड हुई फायरिंग के बारे में दोनों देशों ने आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है, जबकि यह फायरिंग चुशुल सब सेक्टर पर हुई फायरिंग से कहीं ज़्यादा गंभीर थी।
भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी से हुई मुकालात के बाद दोनों पक्ष सभी मौजूदा समझौतों और प्रोटोकॉल का पालन करने और तनाव बढ़ाने जैसी कोई कार्रवाई न करने पर सहमत हुए थे।
साल 1996 और 2005 में हुई भारत-चीन संधि के कारण फ़ेस-ऑफ़ के दोनों देशों के जवान फायर आर्म्स (बंदूक़) का इस्तेमाल नहीं करते है।
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