Wednesday - 30 October 2024 - 5:15 AM

रिसर्च : भारत में मई मध्य तक कोरोना से हो सकती है 38000 से ज्यादा मौतें

न्यूज डेस्क

भारत में कोरोना के संक्रमण में तेजी से इजाफा हो रहा है। आंकड़ों में हो रही अभूतपूर्व बढोत्तरी को लेकर विशेषज्ञ भी डरे हुए हैं।
कुछ रिसर्च रिपोर्ट की माने तो मई मध्य तक भारत में कोरोना से बुरे हालात हो सकते हैं।

रिसर्च में अनुमान जताया गया है कि देश में मई के मध्य तक बुरे हालात पैदा हो सकते हैं और संक्रमण से मरने वालों की संख्या मौजूदा 681 के आंकड़े से बढ़कई 38,220 तक पहुंच सकती है। वहीं संक्रमितों की संख्या 30 लाख के करीब पहुंचने के आसार हैं।

दरअसल यह अनुमान भारत के चार बड़े संस्थानों की रिसर्च रिपोर्ट में सामने आए हैं। रिसर्च में जवाहर लाल नेहरु सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च (JNCASR)  , इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (बेंगलुरु), आईआईटी बॉम्बे और आर्म्ड फोर्सेज मेडिकल कॉलेज पुणे शामिल हैं।

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रिसर्च के अनुसार, मई में बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमण के केस बढऩे के बाद देश में 76,000 आईसीयू बेड्स की जरूरत होगी। मालूम हो इन चार संस्थानों की इटली और न्यूयॉर्क पर की गई मौतों और संक्रमण की भविष्यवाणी तकरीबन सही साबित हुई थी।

JNCASR के एसोसिएट प्रोफेसर संतोष अंसुमली ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, “मौजूदा डेटा के आधार पर इस मॉडल से वर्स्ट केस एस्टिमेट (सबसे बुरे हालात का अनुमान) निकाला गया है। मई 19 तक मृतकों का आंकड़ा 38 हजार के पास रहेगा। यह असल समय का डेटा आने के साथ बदल भी सकता है। हम मकसद इस रिसर्च के जरिए सिस्टम को अलर्ट करने और आईसीयू व अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने करना है। ”

उन्होंने कहा कि चार सप्ताह के अनुमान के मुताबिक, 28 अप्रैल तक देश में मृतकों की संख्या 1012 तक पहुंच जाएगी। वहीं इसके अगले हफ्ते यानी 5 मई तक 3258 की जान जा सकती है। तीसरे हफ्ते (12 मई तक) 10,294 और चौथे हफ्ते (19 मई) तक मृतकों की संख्या 38,220 का आंकड़ा छू सकती है।

अंसुमली के अनुसार, मॉडल में 3 मई के बाद लॉकडाउन खुलने की स्थितियों को भी अनुमान में शामिल किया गया है। लॉकडाउन खत्म होने के बाद मौतों के आंकडों में बढ़ोतरी हो सकती है, लेकिन अगर लॉकडाउन जारी रहा, तो यह दर कुछ कम रहेगी। खास बात यह है कि इस मॉडल में संक्रमितों के आंकड़े के बजाय अब तक हुई मौतों के आंकड़े को आधार बनाया गया है। इसके अलावा जिला स्तर पर डॉक्टरों, स्वास्थकर्मियों को कितने वेंटिलेटर और ऑक्सीजन मास्क की जरूरत पड़ सकती है, यह भी स्टडी में शामिल है।

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