Saturday - 26 October 2024 - 2:30 PM

राम मंदिर के बयान पर उद्धव को क्यों देनी पड़ी सफाई

न्यूज डेस्क

राम मंदिर के निर्माण को लेकर बीजेपी नेताओं के साथ-साथ उसकी सहयोगी दलों के नेता भी बयानबाजी करने से पीछे नहीं रहते। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़बोलों को राम मंदिर पर बयान देने से परहेज करने की नसीहत दी थी। मोदी के इस बयान के एक दिन बाद ही शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस पर कहा कि इस मुद्दे पर उनकी पार्टी का रुख हिंदुओं की भावनाओं को प्रदर्शित करता है।

शिवसेना भी लगातार राम मंदिर का मुद्दा उठाती रही है। चूंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव है तो बयानबाजी ज्यादा हो रही है। लोकसभा चुनाव से पहले भी शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे राम मंदिर के निर्माण को लेकर बीजेपी की मंशा पर सवाल उठाये थे। अभी हाल के दिनों में ठाकरे ने कहा था कि जैसे मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने का साहस किया वैसे ही अयोध्या में राम मंदिर बनाने का साहस करें।

दरअसल गुरुवार को नासिक में एक रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था, ‘मैं राम मंदिर मुद्दे पर बयान बहादुरों और बड़बोलों को देखकर हैरान हूं। देश में हर किसी को उच्चतम न्यायालय का सम्मान करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय इस मामले की सुनवाई कर रहा है। मैं हाथ जोड़कर इन लोगों से कहना चाहता हूं कि न्यायिक प्रणाली में विश्वास रखें।’

मोदी की इस टिप्पणी पर बीजेपी के सहयोगी ठाकरे ने कहा, ‘वह किनका जिक्र कर रहे हैं। मैं बयानबाजी नहीं कर रहा हूं। मैं सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं को प्रदर्शित कर रहा हूं।’

ठाकरे ने जोर दिया कि उनकी पार्टी को सर्वोच्च अदालत पर विश्वास है, लेकिन यह मामला कई वर्षों से अदालत में लंबित है।

मालूम हो कि मोदी ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन मीडिया के एक हिस्से ने दावा किया कि यह बयान सहयोगी शिवसेना के लिए था जो अक्सर अयोध्या मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाती रही है और उसने मंदिर निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की मांग की है।

ठाकरे ने कहा, ‘मैं पिछले साल अयोध्या गया था। अब (महाराष्ट्र) विधानसभा चुनावों से पहले वहां मेरी फिर से जाने की इच्छा है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं अयोध्या जाने को लेकर कोई घोषणा नहीं कर रहा हूं क्योंकि मैंने अभी तक कोई फैसला नहीं किया है।’

ठाकरे ने कहा कि अयोध्या की अपनी यात्रा के दौरान मैंने मांग की थी कि अगर अदालत के आदेश में देरी होती है तो सरकार को साहस दिखाना चाहिए और हस्तक्षेप करना चाहिए।

शिवसेना प्रमुख ने कहा, ‘अगर प्रधानमंत्री को लगता है कि फैसला जल्द ही हो जाएगा और हमें और धैर्य रखना होगा तो ठीक है।’

बहुमत नहीं होने के बाद भी स्थिर सरकार देने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की प्रधानमंत्री द्वारा प्रशंसा किए जाने के बारे में पूछे जाने पर ठाकरे ने कहा कि बयान 2014 के विधानसभा चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने के संदर्भ में था।

उद्धव ने कहा, ‘शिवसेना ने कभी भी सरकार को धोखा नहीं दिया है। इसने पांच वर्षों में विकास कार्यों के लिए पूर्ण समर्थन और भागीदारी दी है।’

उन्होंने कहा कि कुछ समय के लिए एक दौर था जब शिवसेना के मंत्रियों ने इस्तीफा देने की धमकी दी थी।

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