स्पेशल डेस्क
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित कराने की भारत की कोशिशों पर चीन ने वीटो लगा दिया है। पाकिस्तान में छुपा आतंकी मसूद अजहर को पिछले 10 साल में चौथी बार चीन ने बचाया है, जिसके बाद अमेरिका ने चीन कड़े शब्दों में चेतावनी दी है।
बोली-गोली साथ-साथ नहीं
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि चीन के रवैये से निराशा हुई, लेकिन आतंकियों के खिलाफ हमारी कोशिशें जारी रहेंगी। विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने कहा,
आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकता है। आतंकी गुटों पर कार्रवाई से पहले पाकिस्तान से कोई बात नहीं होगी। पाकिस्तान प्रधानमंत्री इमरान खान इतने ही उदार हैं तो मसूद को हमें सौंप दें।
#WATCH EAM Sushma Swaraj in Delhi: We are ready to engage with Pakistan in atmosphere free from terror. Some people say Imran Khan is a statesman, if he is so generous then he should hand over JeM chief Masood Azhar to India. Let’s see how generous he is. (13.03) pic.twitter.com/kgnDfv8gOY
— ANI (@ANI) March 14, 2019
अमेरिका की चीन को चेतावनी
इस बीच अमेरिका की ओर से यूएनएससी में कड़ा बयान दिया गया कि अगर चीन लगातार इस तरह की अड़चन बनता रहा, तो जिम्मेदार देशों को कोई और कदम उठाना पड़ेगा। अमेरिका की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान चीन की मदद से कई बार सरगना मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बचाता रहा है।
सख्त भाषा का इस्तेमाल करते हुए अमेरिका ने कहा कि अगर इसी तरह चीन मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से बचाता रहा तो सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्यों को सख्त रुख अपनाना पड़ेगा, लेकिन हालात यहां तक नहीं आने चाहिए।
कूटनीतिक विफलता
गौरतलब है कि मसूद अजहर के खिलाफ फ्रांस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे बड़े देशों ने प्रस्ताव दिया था। भारत ने प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को धन्यवाद कहा है तो वहीं, कांग्रेस ने इसे मोदी सरकार की कूटनीतिक विफलता बताया है।
आज फिर आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई को चीन-पाक गठजोड़ ने आघात पहुँचाया है।
56 इंच की ‘Hugplomacy’ और झूला-झुलाने के खेल के बाद भी चीन-पाकिस्तान का जोड़ भारत को ‘लाल-आँख’ दिखा रहा है
एक बार फिर एक विफल मोदी सरकार की विफल विदेश नीति उजागर हुई।https://t.co/ZMrgCEqJxB
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) March 13, 2019
बताते चले कि मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 अलकायदा प्रतिबंध समिति के तहत 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका की ओर से प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव रखा गया था। यह प्रस्ताव फिलहाल ‘कोई आपत्ति नहीं’ अवधि के तहत था और समिति के सदस्यों के पास प्रस्ताव पर आपत्ति उठाने के लिए 10 कार्यदिवस का समय था।
लेकिन चीन ने समय खत्म होने से कुछ घंटे पहले प्रस्ताव पर तकनीकी के आधार पर अड़ंगा लगा दिया। यह तकनीकी रोक छह महीनों के लिए वैध है और इसे आगे तीन महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है। संयुक्त राष्ट्र में एक राजनयिक ने कहा कि चीन ने प्रस्ताव की पड़ताल करने के लिए और वक्त मांगा है।