जुबिली न्यूज डेस्क
करीब साढ़े छह साल पहले मुजफ्फरनगर में हत्या की एक वारदात ने ऐसा उग्र रूप लिया कि मुजफ्फरनगर दंगे की आग में झुलस गया। इसका असर अब भी इस इलाके में है।
इस मामले में कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज हुआ था। फिलहाल उत्तर प्रदेश की योगी सरकार कई बीजेपी नेताओं के खिलाफ मुजफ्फरनगर दंगे के केस वापस लेने के लिए याचिका दी है। इसमें बीजेपी के तीन विधायक भी शामिल हैं।
इन भाजपा नेताओं के खिलाफ सितंबर 2013 में नगला मंदोर गांव में आयोजित महापंचायत में भड़काऊ भाषण देने का मामला इनके खिलाफ दर्ज है।
शिखेड़ा थाने में दर्ज केस में सरधना (मेरठ) से विधायक संगीत सोम, शामली से विधायक सुरेश राणा और मुजफ्फरनगर सदर से विधायक कपिल देव का नाम है। इसमें हिंदूवादी नेता साध्वा प्राची का भी नाम है। इसके अलावा सरकार प्रशासन से भिडऩे और ऐहतियाती निर्देशों का पालन न करने का आऱोप भी इन नेताओं पर है।
इंडियन एक्सप्रेस को मुजफ्फरनगर गवर्नमेंट काउंसेल के राजीव शर्मा ने बताया कि सरकार ने केस वापसी की याचिका दी है और अभी इस पर सुनवाई बाकी है।
दंगे में कितने लोगों की गई थी जान
मुजफ्फरनगर जिले के कवाल गांव में जाट-मुस्लिम हिंसा के साथ ये दंगा शुरू हुआ था, जिससे वहां 65 लोगों की जान गई थी। बड़े पैमाने पर लोग हताहत हुए थे। दंगे के दौरान यहां कर्फ्यू लगा दिया गया था। सेना को दखल देना पड़ा था। करीब 20 दिन तक कर्फ्यू रहा। 17 सितम्बर को दंगा प्रभावित स्थानों से कर्फ्यू हटा लिया गया और सेना वापस बुला लिया गया।
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क्या था पूरा मामला
जाट और मुस्लिम समुदाय के बीच झड़प 27 अगस्त 2013 को शुरू हुआ। कवाल गांव में कथित तौर पर एक जाट समुदाय लड़की के साथ एक मुस्लिम युवक ने छेडख़ानी की। उसके बाद लड़की के दो ममेरे भाइयों गौरव और सचिन ने उस मुस्लिम युवक को पीट-पीट कर मार डाला। जवाबी हिंसा में मुस्लिमों ने दोनों युवकों की जान ले ली।
7 सितंबर 2013 को नगला मंदोर गांव के इंटर कॉलेज में जाटों ने महापंचायत बुलाई थी। महापंचायत से लौट रहे लोगों पर हमला कर दिया गया और इसके बाद दंगे भड़क गए। मुजफ्फरपुर के कई इलाकों और आसपास के जिलों में हिंसा होने लगी। इस दंगे में लगभग 65 लोग मारे गए और 40,000 लोग बेघर हो गए।
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इसमें कुल 510 आपराधिक केस दर्ज हुए थे। इनमें से 175 पर चार्जशीट फाइल की गई। चरण सिंह यादव ने शिखेड़ा पुलिस स्टेशन में महापंचायत के मामले में केस दर्ज कराया था। इसमे 40 लोगों के नाम थे जिसमें संगीत सोम, साध्वी प्राची और पूर्व सांसद नरेंद्र सिंह मलिक का भी नाम था।
इन नेताओं पर सांप्रदायिक दंगे भड़काने वाले भाषण देने का आरोप है। यह भी आरोप है कि बिना इजाजत महापंचायत बुलाई गई औऱ सरकारी कर्मचारियों को ड्यूटी करने से रोका गया। एक मोटरसाइकल को आग लगाने की भी बात एफआईआर में कही गई थी।
मुजफ्फरनगर दंगे की आग काफी दिनों बाद शांत हुई। सपा सरकार ने बीजेपी नेताओं पर दंगे करवाने के आरोप लगाए थे। इस दंगे में बेघर हुए बहुत सारे लोग आज भी कैंपों में ही गुजारा कर रहे हैं।