- पूरी गलवान घाटी पर चीन ने किया अपना दावा
- चीन ने भारत पर लगाया उकसावे का आरोप
जुबिली न्यूज डेस्क
शुक्रवार को भारतीय मीडिया में खबर आई की चीन ने हिरासत में लिए भारत के दस सैनिकों को छोड़ दिया है। यह भी कहा गया कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की बातचीत के बाद चीन का रुख नरम हुआ। इन खबरों के बाद जब चीन के विदेश मंत्रालय की प्रेस वार्ता हुई तो चीन ने कहा कि उसकी हिरासत में कोई भारतीय नहीं है। इतना ही नहीं चीन ने ये भी कहा कि समूची गलवान घाटी उसके अधिकार क्षेत्र में है।
चीन के विदेश मंत्रालय की रोजान प्रेस वार्ता में एक सवाल के जवाब में प्रवक्ता झाओ लीजियान ने कहा कि जहां तक मुझे जानकारी है, इस समय चीन की हिरासत में कोई भारतीय सैनिक नहीं है। इतना ही नहीं उन्होंने भारतीय सैनिकों को हिरासत में लिए जाने की भी पुष्टि नहीं की।
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भारतीय मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने 15-16 जून की रात को हुई हिंसक झड़प के बाद भारत के चार अधिकारी और छह जवानों को अपने कब्जे में ले लिया था जिन्हें गुरुवार शाम छोड़ा गया है।
चीन लगातार भारत के आरोपों को नकार रहा है। पिछले दिनों सीमा पर जो कुछ हुआ उसके लिए वह भारत को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है। भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद से तो भारत में चीन के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन हो रहा है। लोग चीनी सामान के बहिष्कार का विरोध भी कर रहे हैं।
शुक्रवार को जब चीनी प्रवक्ता लिजियान से भारत में चीन के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि गलवान में जो कुछ हुआ है उसकी जिम्मेदारी भारत की है।
उन्होंने कहा कि दोनों ही दैश सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के जरिए बातचीत कर रहे हैं और तनाव कम करने पर जोर दे रहे हैं। साथ में उन्होंने यह भी कहा कि चीन भारत के साथ रिश्तों को महत्व देता है और उम्मीद करता है कि भारत चीन के साथ मिलकर दूरगामी विकास के लिए द्विपक्षीय रिश्ते बेहतर करने के लिए काम करेगा।
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गलवान घाटी पर चीन ने क्या कहा
चीन ने कहा कि पूरी गलवान घाटी भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्शन में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीन की ओर है। कई सालों से चीन के सैनिक इस क्षेत्र में गश्त कर रहे हैं। इस साल अप्रैल के बाद से एलएसी पर गलवान घाटी में भारतीय सेना ने एकतरफा कार्रवाई करते हुए लगातार सड़कें बनाई हैं, पुल और अन्य ठिकाने बनाए हैं।
चीन ने कई बार शिकायत की लेकिन भारत ने और उकसाने वाली कार्रवाई करते हुए एलएसी को पार किया।
चीन के अनुसार 6 मई की सुबह को एलएसी पार करने वाले सीमा पर तैनात भारतीय सैनिकों ने, जो रात में एलएसी पार करके चीन के क्षेत्र में आ गए थे, बैरिकेड लगाए और किलेबंदी की जिससे सीमा पर तैनात चीन के सैनिकों की गश्त में अवरोध पैदा हुआ।
भारतीय सैनिकों ने जानबूझकर उकसावे वाली कार्रवाई करते हुए प्रबंधन और नियंत्रण की यथास्थिति को बदल दिया। जिसकी वजह से चीन के सैनिक परिस्थिति से निपटने के लिए और जमीन पर अपने प्रबंधन और नियंत्रण को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए मजबूर हो गए।
चीन ने आगे कहा कि इस तनाव को कम करने के लिए भारत और चीन ने सैन्य और कूटनीतिक चैनलों से बातचीत की। चीन की मांगों की प्रतिक्रिया में भारत एलएसी पार करने वाले अपने सैनिकों को वापस बुलाने और बनाए गए ठिकानों को ध्वस्त करने के लिए तैयार हो गया। भारत ने ऐसा किया भी। 6 जून को दोनों पक्षों में कमांडर स्तर की वार्ता हुई और तनाव कम करने पर सहमति बन गई।
चीन के मुताबिक भारतीय पक्ष इस बात पर सहमत हुआ कि वह गलवान नदी को पार नहीं करेगा और दोनों ही पक्ष जमीन पर मौजूद कमांडरों के बीच बैठकों के जरिए सैनिकों को चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे, लेकिन 15 जून की रात को सीमा पर तैनात भारतीय सैनिक कमांडर स्तर की बैठक में हुए समझौते का उल्लंघन करते हुए एक बार फिर एलएसी पार कर गए। जब गलवान घाटी में तनाव कम हो रहा था, उन्होंने जानबूझकर उकसावे की कार्रवाई की।
चीन के जो सैनिक और अधिकारी वार्ता करने के लिए उनके पास गए उन पर भारतीय सैनिकों ने हिंसक हमला किया जिससे भीषण हिंसा हुई और लोग हताहत हुए। भारतीय सैनिकों ने सीमा क्षेत्र की स्थिरता को कमजोर किया है।