प्रीति सिंह
ब्यूरोक्रेट्स का राजनीति में आना कोई नई बात नहीं है। राजनीति उन्हें हमेशा से आकर्षित करती रही है। अनेक ब्यूरोक्रेट्स ने तो राजनीति में लंबी पारी खेली है। फिलहाल इस चुनावी समर में भी कई रिटायर्ड आईएएस चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं तो कई नौकरी छोडक़र चुनाव मैदान में ताल ठोकेंगे। अभी हाल ही में रायपुर के जिला कलेक्टर ओ.पी. चौधरी खबरों में आए थे, जो कि 2005 बैच के आईएएस अफसर रह चुके हैं और भाजपा ज्वाइन करने के लिए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
उत्तर प्रदेश में कई आईएएस के चुनाव लडऩे की खबरें चर्चा में हैं। सबसे ज्यादा चर्चा में पूर्व डीजीपी व भाजपा नेता बृजलाल और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा के बेटे साकेत मिश्रा के चुनाव लडऩे की है। इसके अलावा पूर्व बेसिक शिक्षा निदेशक अमृत प्रकाश की बहराइच सीट से व आईएएस राम कुमार के गोंडा से चुनाव लडऩे की चर्चा जोरों पर है। वहीं साकेत मिश्रा बीजेपी के टिकट पर श्रावस्ती से व पूर्व डीजीपी बृजलाल के पूर्वांचल से चुनाव लडऩे की चर्चा है।
बसपा नेता नेतराम जो पहले आईएएस थे की चुनाव लडऩे की चर्चा थी लेकिन 12 मार्च को उनके यहां आईटी के छापे के बाद अब संशय दिख रहा है। नेतराम बसपा प्रमुख मायावती के सबसे करीबी नेताओं में शुमार हैं। इसके अलावा पूर्व आईएएस व कांग्रेस नेता पीएल पुनिया को बाराबंकी से टिकट मिल चुका है। ये लोग यूपी से अपनी दावेदारी पेश करेंगे। इसके अलावा अन्य राज्यों में भी कई आईएएस व आईपीएस चुनाव मैदान में ताल ठोकने की तैयारी में हैं।
महाराष्ट्र से भी कई रिटायर आईएएस-आईपीएस है रेस में शामिल
महाराष्ट्र के भी रिटायर आईएएस, आईपीएस अधिकारी किस्मत आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त अरूप पटनायक, पुणे के पूर्व पुलिस आयुक्त गुलाबराव पोल, बेस्ट के पूर्व जीएम उत्तम खोब्रागडे, वीआरएस लिए पूर्व आईएएस किशोर गजभिये, पूर्व आईएएस प्रभाकर देशमुख, विदेश विभाग में बतौर सचिव काम चुके ज्ञानेश्वर मुले, विजय नाहटा, भाई नगराले, पूर्व अधिकारी ए के जैन, जैसे तमाम पूर्व अधिकारी लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत अजमाने के लिए मुंबई से लेकर दिल्ली तक चक्कर लगा रहे हैं।
पहले भी कई ब्यूरोक्रेट्स ने राजनीति में खेली है लंबी पारी
ब्यूरोक्रेट्स का राजनीति से प्रेम बहुत पुराना है। दरअसल नेताओं-मंत्रियों के सबसे करीब रहने वाले आईएएस-आईपीएस राजनीति के प्रभाव को अच्छे से जानते हैं। कई ऐसे आईएएस, आईएफएस और अन्य सिविल सेवक रहे हैं जिन्होंने राजनीति में भी उतना ही कमाल दिखाया है जितना अपनी नौकरी में।
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी को कौन भूल सकता है। अजीत जोगी ने जिस वक्त राजनीति से जुडऩे का फैसला किया तब वह जिला कलेक्टर थे। वह 1968 बैच के आईएएस अफसर रह चुके हैं। वह तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर कांग्रेस में शामिल हुए थे, जिसके बाद वह छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने।
पूर्व भाजपा नेता यशवंत सिन्हा 1960 में आएएस अफसर बने। वह इस पद पर 1984 तक रहे। इसके बाद 1990-91 के दौरान चंद्रशेखर की कैबिनेट में वित्त मंत्री रहे। भाजपा से पहले वह जनता दल के नेता थे। इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वित्त मंत्री और विदेश मामलों के मंत्री बने। उन्होंने इसी साल भाजपा को छोड़ दिया है, लेकिन उनके बेटे जयंत सिन्हा मोदी सरकार में नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हैं।
बिहार के आरा में जन्मीं मीरा कुमार भारत की पहली महिला लोकसभा स्पीकर बनीं। उन्होंने आईएफएस के पद पर अपना कार्यभार 1973 को संभाला और काफी लंबे समय तक काम किया।
मणिशंकर अय्यर को कौन भूल सकता है। अपनी बयानबाजी के चक्कर में कई बार कांग्रेस की भद पिटवा चुके हैं। लाहौर में जन्मे मणिशंकर अय्यर 1963 में आईएफएस सर्विस से जुड़े और 1989 में सेवानिवृत होने के बाद कांग्रेस से जुड़ गए। इसके अलावा कांग्रेस नेता नटवर सिंह आएफएस सर्विस से 1953 में जुड़े और 31 साल तक इस पद पर रहे।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 1992 में भारतीय राजस्व सेवा से जुड़ गए। उन्होंने साल 2012 में आम आदमी पार्टी बनाई और दिल्ली विधानसभा चुनाव 2013 में उनकी पार्टी दूसरी बड़ी पार्टी बनकर उभरी। 2015 में उनकी पार्टी ने दोबारा चुनाव लड़ा और 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल की।
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री और पर्यटन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अल्फांसो कन्ननथानम 1979 बैच के आईएएस अफसर रह चुके हैं। वह 2006 में आईएएस के पद से सेवानिवृत हुए और कोट्टायाम से चुनाव लड़े। 2011 में भाजपा से जुड़े और राजस्थान के राज्यसभा से एमपी बने। वहीं हरदीप सिंह पुरी जो वर्तमान में केंद्रीय शहरी कार्य मंत्री हैं। उन्होंने 1974 में आएफएस ज्वाइन की और ब्रिटेन तथा ब्राजील में राजदूत बनकर भी रहे हैं। वह जनवरी 2014 में भाजपा से जुड़े।
केंद्रीय बिजली, नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) राज कुमार बिहार-कैडर के 1975 बैच के आईएएस अफसर रह चुके हैं। जब 1990 में भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी रथ यात्रा के चलते गिरफ्तार हुए थे तो उस वक्त वह समस्तीपुर के जिला मजिस्ट्रेट थे। वह 2013 में भाजपा से जुड़े।
मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह महाराष्ट्र कैडर के 1980 बैच के आईपीएस अफसर रह चुके हैं। उन्होंने मुंबई के पुलिस कमिश्नर के तौर पर भी काम किया है। साल 2014 में उन्होंने मुंबई के पुलिस चीफ के पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया और 2014 में बागपत सीट से लोकसभा चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की।