जुबिली न्यूज डेस्क
एक ओर कोरोना महामारी की तबाही से अमेरिका हलकान है तो वहीं दूसरी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को लेकर सियासी माहौल गर्म है। पहले राष्ट्रपति ट्रंप हर हाल में चाहते थे कि नवंबर में राष्ट्रपति चुनाव हो जाए लेकिन अब उनका विचार बदल गया है। अब वह चुनाव टालने की वकालत कर रहे हैं।
ट्रंप ने इस साल नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को टालने का सुझाव दिया है। ट्रंप ने ट्विटर पर एक ट्वीट के जरिए इस ओर इशारा किया।
अपने ट्रवीट में ट्रंप ने कहा कि पोस्टल वोटिंग में बढ़ोतरी से गड़बड़ी और गलत नतीजे आ सकते हैं। राष्ट्रपति चुनाव को तब तक के लिए टाल दिया जाए, जब तक लोग कायदे से, सुरक्षित और भरोसे के साथ वोटिंग न करें।
अमेरिका में 3 नवंबर को वोटिंग होनी है। इसमें अब 4 महीने का समय ही बचा है। ट्रंप चुनाव को इसलिए टालना चाह रहे हैं क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव के अब तक जितने भी ओपिनियन पोल्स आए हैं, उनमें ट्रंप के खिलाफ खड़े हो रहे डेमोक्रेटिक उम्मीदवार जो बिडेन को चुनाव जीतने के करीब माना जा रहा है। ऐसे में ट्रंप के लिए आगामी चुनाव काफी संघर्षों से भरा हो सकता है।
अमेरिका में कोरोनावायरस महामारी से बिगड़ते हालात को देखते हुए कई राज्य पोस्टल वोटिंग कराने के पक्ष में नजर आए हैं। हालांकि, ट्रंप का कहना है कि मेल-इन वोटिंग से यह चुनाव इतिहास के सबसे गड़बड़ और धोखाधड़ी भरे बन जाएंगे। ये अमेरिका के लिए बड़ी शर्मिंदगी होगी।
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बिना कोई सबूत दिए ट्रंप ने कहा कि पोस्टल वोटिंग बाहरी दखल से प्रभावित हो सकती है। उन्होंने कहा कि विपक्षी डेमोक्रेट्स वोटिंग में विदेशी दखल की बात करते हैं, लेकिन वे जानते हैं कि पोस्टल वोटिंग से बाहरी देश आसानी से चुनाव में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
तो क्या बदल सकती है तारीख
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव की तारीख बदलने की ताकत सिर्फ और सिर्फ संसद के पास है। राष्ट्रपति ट्रंप खुद इन तारीखों में कोई बदलाव नहीं कर सकते। अगर चुनाव की तारीखों में बदलाव होना है, तो इसके लिए संसद के दोनों सदनों- हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स और सीनेट की मंजूरी की जरूरत होगी। इसमें एक समस्या यह है कि हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट पार्टी का बहुमत है और उसके कई नेता पहले ही चुनाव में किसी देरी से इनकार कर चुके हैं।
कांग्रेस की तरफ से चुनाव को टालने के किसी भी फैसले के लिए संविधान में संशोधन करने की जरूरत भी पड़ेगी। नए संशोधन के जरिए कांग्रेस के सदस्यों और नए राष्ट्रपति प्रशासन के शपथ ग्रहण की तारीख को बदलना पड़ेगा।
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