न्यूज डेस्क
पश्चिम बंगाल की सियासत का इतिहास खून-खराबों से भरा हुआ है। जितनी राजनीतिक हिंसा पश्चिम बंगाल में हुई है उतनी किसी राज्य में नहीं हुई है। ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। लोकसभा चुनाव के एक माह पहले और उसके बाद के एक माह तक पश्चिम बंगाल में राजनीति हिंसा हुई। इस हिंसा के लिए भाजपा ने, प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी को जिम्मेदार बताया तो वहीं ममता ने बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया।
कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रॉय से लेकर टीएमसी की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार्यकाल तक करीब 30,000 राजनैतिक लोगों की हत्या हुई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़े भी इसकी गवाही देते हैं।
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एनसीआरबी के आंकड़ों के अनूसार 2016 में बंगाल में राजनीतिक कारणों से 91 घटनाएं हुईं, जिसमें 205 लोगों की मौत हुई थी। वहीं 2015 में 131 वारदात हुई थी, जिसमें 184 लोगों की मौत हुई थी।
बंगाल की सत्ता ममता बनर्जी के संभालने के दो साल बाद 2013 में भी बंगाल में राजनीतिक वजहों से 26 लोगों की हत्या हुई थी और ये हिंसा देश के किसी भी राज्य से कहीं ज्यादा थी। वहीं 2018 में सिर्फ पंचायत के चुनाव में एक दिन में 18 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। लोकसभा चुनाव भी इससे अछूता नहीं रहा।
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लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिम बंगाल एक ऐसा राज्य रहा जहां तकरीबन लोकसभा चुनाव के हर चरण में भारी हिंसा देखने को मिली। सियासी मैदान में उतरे उम्मीदवारों पर हमले किए गए, उनकी गाड़ियों को क्षतिग्रस्त किया गया और राजनीतिक समर्थकों की जमकर पिटाई की गई। सबसे बड़ा बवाल आखिरी चरण के चुनाव प्रचार से ठीक पहले उस वक्त देखने को मिला जब बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता रोड शो में उनके ट्रक के ऊपर डंडे फेंके गए।
एक बार फिर बीजेपी ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया है कि वह ‘तुष्टिकरण’ और ‘आतंक’ की राजनीति करती हैं।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने रविवार को ट्वीट कर ममता पर यह आरोप लगाया।
राष्ट्रीय महासचिव विजयवर्गीय के नेतृत्व में एक भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने संदेशखली क्षेत्र का दौरा किया, जहां तीन महीने पहले दो भाजपा कार्यकर्ताओं पर कथित रूप से टीएमसी कार्यकर्ताओं द्वारा हमला किया गया था।
विजयवर्गीय ने कहा, ‘तीन महीने पहले भाजपा कार्यकर्ता प्रदीप मंडल और सुकांतो मंडल पर लगभग 400 लोगों ने हमला किया था। हमलावर तस्करों के आदमी थे। नब्बे दिन बीत चुके हैं और पुलिस ने किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया है।
भाजपा कार्यकर्ता प्रदीप मंड़ल और सुकांतो मंड़ल की हत्या के तीन माह बाद भी शेख शाहनवाज के गुंडे बेखौफ घूम रहे हैं। ये ममता राज की आतंक और तुष्टिकरण की राजनीति का सुबूत है। लेकिन, भाजपा जब तक इस अराजक राजनीति को खत्म नहीं करेगी, चैन से नहीं बैठेगी!
बहुत हो गया ममताजी, अब नहीं! pic.twitter.com/XrpZ3ZjO2z
— Kailash Vijayvargiya (@KailashOnline) September 8, 2019
विजयवर्गीय ने कहा, ‘यह सब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आतंक और तुष्टीकरण की राजनीति के कारण हो रहा है।’
गौरतलब है कि इससे पहले जून में, बीजेपी द्वारा 12 घंटे के लिए बंद बुलाया गया था। पश्चिम बंगाल के बशीरहाट क्षेत्र में पार्टी कार्यकर्ताओं की हत्या के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शनों किया गया था।