न्यूज डेस्क
पिछले दिनों जब कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ट्विटर अकाउंट से अपना कांगे्रसी परिचय हटाया तो मध्य प्रदेश समेत दिल्ली के सियासी गलियारे में खलबली मच गई। अफवाह छोड़ने लगी कि वह कांग्रेस छोड़ बीजेपी ज्वाइन करने जा रहे हैं। इतना ही नहीं सिंधिया अपनी पार्टी बनाने जा रहे हैं ऐसी भी खबरें आई। ऐसा ही बीते दिनों बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने किया। उन्होंने अपने ट्विटर बायो से अपनी पार्टी का नाम हटा दिया। फिर क्या, सियासी गलियारे में अफरातफरी मच गई। पंकजा के बीजेपी छोड़ने की खबरे आने लगी। फिलहाल ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी नेता के ट्विटर परिचय में हुए बदलाव से विवाद खड़ा हुआ है।
देश के अधिकांश नेता ट्विटर पर एक्टिव है। हर छोटी-मोटी सूचना वह ट्विटर के माध्यम से जनता से साझा करते हैं। अपने बारे में कोई सूचना देनी हो या विपक्षी दल के किसी नेता पर निशाना साधना हो, नेता ट्विटर का सहारा ले रहे हैं। इतना ही नहीं इन नेताओं के अच्छे-खासे फॉलोवर भी हैं। इसलिए ट्विटर पर इनकी हर एक्टिविटी चर्चा में आ जाती है।
हाल ही में बीजेपी नेता पंकजा मुंडे ने जब अपना बीजेपी परिचय हटाया तो यह खबर बन गई। अफवाहें उडऩे लगीं कि पंकजा मुंडे भाजपा छोड़ रही हैं। हालांकि महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने इन अटकलों को खारिज कर दिया। पंकजा बीजेपी छोड़ेंगी या नहीं यह तो वक्त बतायेगा लेकिन कई नेताओं के ट्विटर परिचय में हुए बदलाव से विवाद खड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि एक बार पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अपने ट्विटर बायो से ‘विदेश मंत्री भारत सरकार’ हटा दिया था। उस दौरान ऐसे कयास लगने लगा कि उन्हें साल 2015 में कैबिनेट से हटा दिया गया है क्योंकि उन्होंने आईपीएल के पूर्व अध्यक्ष ललित मोदी की देश से भागने में मदद की थी। लेकिन इसके बाद अगले चार साल तक सुषमा विदेश मंत्री बनी रहीं।
ट्विटर बायो बदलते ही प्रियंका ने छोड़ी थी पार्टी
पूर्व कांग्रेस प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी जो इस समय शिवसेना में, उन्होंने भी इस साल के शुरू में लोकसभा चुनावों के बीच में अपनी ट्विटर प्रोफाइल से ‘एआईसीसी प्रवक्ता’ ये दो शब्द हटा दिए थे। यह हटाने के कुछ घंटे बाद ही वह प्रवक्ता के रूप में शिवसेना में शामिल हो गईं।
इसके अलावा आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से अपना सरनेम ‘मार्लेना’ हटा दिया, साथ ही अपना सरनेम पार्टी की सभी प्रचार सामग्री से भी हटा लिया गया। ऐसा विपक्ष के उन आरोपों का जवाब देने के लिए किया गया था जिनमें आतिशी को एक विदेशी और ईसाई बताया गया था।
पिछले महीने ही कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी अपने ट्विटर अकाउंट से अपना कांग्रेसी परिचय हटा लिया था। इसके बाद तरह-तरह की अटकलें लगाई गई। सिंधिया ने अनुच्छेद 370 के मुद्दे पर बीजेपी का समर्थन किया था इसलिए इन अफवाहों को बल भी मिला। हालांकि अभी तक ज्योतिरादित्य ने पार्टी बदली नहीं है।
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