न्यूज डेस्क
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप की एक पॉलिसी की वजह से पूरी दुनिया परेशान है। ट्रंप की इस पॉलिसी से अमेरिका को काफी नुकसान हो रहा है, फिर भी राष्ट्रपति ट्रंप चेत नहीं रहे हैं।
दरअसल ट्रंप की वीजा नीति और एच-1बी वीजा कार्यक्रम की वजह से अमेरिका को काफी नुकसान हो रहा है। इसी को लेकर पिछले हफ्ते अमेरिका के प्रमुख विश्वविद्यालयों के प्रमुख बिजनेस स्कूलों के 50 डीन और 13 सीईओ ने ट्रंप को एक खुला पत्र लिखकर देश की वीजा नीति और एच-1बी वीजा कार्यक्रम में सुधार की मांग की है।
इन लोगों ने एक अंतरराष्ट्रीय एनजीओ के उस अध्ययन को सही बताया है, जिसमें कहा गया है कि अमेरिकी बिजनेस स्कूलों में पढऩे वाले विदेशी छात्रों की संख्या में कमी आई है। कई प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है।
गैर लाभकारी संस्था ग्रेजुएट मैनेजमेंट एडमिशन काउंसिल (जीमैक) ने अपनी वेबसाइट पर इस बारे में जानकारी साझा की है। इसमें बताया गया है कि 2016 से 2018 तक अमेरिका के बिजनेस स्कूलों के ज्यादातर प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट आई है।
यदि आंकड़ों की बात करें तो 2019 में अमेरिकी बिजनेस स्कूलों के 48 प्रतिशत प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें आवेदन देने वाले दूसरे देशों के छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं, केवल 30 फीसद प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों के आवेदन बढ़े हैं, जबकि 22 फीसद प्रोग्रामों में कोई बदलाव नहीं आया है।
वहीं 2018 में 53 प्रतिशत बिजनेस प्रोग्रामों में विदेशी छात्रों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि केवल 28 फीसद प्रोग्रामों में ही वृद्धि हुई थी। 19 फीसद प्रोग्राम ऐसे थे, जिनमें कोई परिवर्तन दर्ज नहीं किया गया था। यानी उनमें विदेशी छात्रों की संख्या स्थिर थी। जीमैक ने इस गिरावट के लिए अमेरिकी वीजा नीतियों, आवज्रन पर कठोर बयानबाजी को जिम्मेदार ठहराया है। इनकी वजह से अंतरराष्ट्रीय छात्र अमेरिका को छोड़कर दूसरे देशों को चुन रहे हैं।
वहीं भारत के परिप्रेक्ष्य में बात की जाए तो भारत के 28 बिजनेस स्कूलों के मुताबिक, यहां के प्रोग्रामों में आवेदन करने वालों की संख्या लगभग पिछले वर्ष के समान ही है। 46 फीसद प्रोग्राम ऐसे हैं, जिनमें भारतीय छात्रों के आवेदन अधिक आए हैं, जबकि 25 फीसद प्रोग्रामों में छात्रों की संख्या स्थिर हैं।
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