जुबिली न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत में अब भी कोरोना के नये मामले हजारों में आ रहे हैं। जानकारों का कहना है कि जितना जल्दी पूरे देश को टीका लगेगा, उतनी जल्दी कोरोना से निजात मिलेगा।
भारत सरकार भी कोरोना टीकाकरण अभियान में तेजी लाने की कोशिशों में जुटी हुई है। कुछ दिनों पहले ही जॉनसन एंड जॉनसन की सिंगल वैक्सीन को भी भारत सरकार ने मंजूरी दी थी। अब भारत टीका को लेकर एक कदम और आगे बढ़ गया है।
कोरोना वायरस के दो टीकों की मिक्सिंग पर भारत ने बड़ा कदम उठाया है। ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन की मिक्सिंग पर स्टडी के लिए अपनी मंजूरी दे दी है।
इस स्टडी और क्लिनिकल ट्रायल करने की जिम्मेदारी वेल्लोर के क्रिश्चन मेडिकल कॉलेज को मिली है। इंडिया टुडे की खबर के अनुसार, केंद्रीय दवा नियामक की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 29 जुलाई को ही इस स्टडी को कराए जाने के लिए सुझाव दिया था।
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बैठक के दौरान एक्सपर्ट कमेटी ने सीएमसी, वेल्लोर को चौथे फेज के क्लिनिकल ट्रायल किए जाने की मंजूरी देने का सुझाव दिया। इस ट्रायल में 300 स्वस्थ वॉलंटियर्स पर कोरोना की कोवैक्सीन और कोविशील्ड वैक्सीन की मिक्सिंग के प्रभाव जांचे जाएंगे।
इस स्टडी का उद्देश्य यह जानना है कि क्या किसी व्यक्ति के पूर्ण टीकाकरण के लिए उसे एक खुराक कोवैक्सीन और दूसरी खुराकी कोविशील्ड की दी जा सकती है।
हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च यानी (ICMR) द्वारा की गई स्टडी से यह प्रस्तावित स्टडी अलग है।
आईसीएमआर ने यूपी के उन लोगों पर शोध किया था, जिन्हें गलती से दो अलग-अलग कोरोना रोधी टीकों की खुराक दे दी गई थी।
इस स्टडी के आधार पर ही आईसीएमआर ने कहा था कि कोवैक्सीन और कोविशील्ड को मिलाकर दिए जाने से बेहतर परिणाम दिखे हैं और इससे कोविड-19 के खिलाफ अच्छी इम्यूनिटी भी बनी है। यह स्टडी मई और जून के बीच उत्तर प्रदेश के लाभार्थियों पर की गई।
सरकार ने संसद में क्या कहा था
तीन अगस्त को केंद्र सरकार ने कहा था कि कोरोना वायरस रोधी टीकों की दोनों खुराक मिलाने के बारे में अब तक कोई सिफारिश नहीं की गई है।
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राज्यसभा में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि कोरोना रोधी टीके हाल में विकसित किए गए हैं। विभिन्न टीकों को मिलाने और मिश्रित टीकों को लेकर वैज्ञानिक प्रमाण तथा अध्ययन शुरुआती अवस्था में हैं।