न्यूज डेस्क
बिहार की राजधानी पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लापता होने का पोस्टर लगा है। इन पोस्टरों में लिखा गया है- ‘गूंगा- बहरा और अंधा मुख्यमंत्री’। पोस्टर में नीचे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की फोटो है और फिर उसमें सबसे नीचे लिखा गया है- लापता, लापता, लापता।
दरअसल यह पोस्टर नागरिक संसोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) मुद्दे पर उनके बयान न आने की वजह से लगा है।
सीएए और एनआरसी मुद्दे पर नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में दो फाड़ हो चुका है। सीएए और एनआरसी को लेकर जेडीयू ने अपना रूख साफ कर दिया है, लेकिन अभी तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान इस पर नहीं आया है। इसी को लेकर राजधानी पटना में ‘नीतीश कुमार गुमशुदा’ के पोस्टर लगाए गए हैं।
एक दूसरे पोस्टर पर लिखा गया है कि ध्यान से देखिए यह चेहरे को कई दिनों से ना दिखाई दिया ना सुनाई दिया, ढूंढने वाले का बिहार सदा आभारी रहेगा।
वहीं एक अन्य पोस्टर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम के साथ लिखा गया है अदृश्य मुख्यमंत्री- जो पांच साल में सिर्फ एक दिन शपथ ग्रहण समारोह में नजर आता है।
मालूम हो कि नागरिक संसोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी मुद्दे को लेकर जेडीयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर इसका विरोध किया था। ट्विटर पर पीके लगातार अपना विरोध दर्ज कराये थे। उनके विरोध पर पार्टी ने नाराजगी व्यक्त की थी तो शनिवार को पीके ने इस्तीफे की पेशकश की थी।
प्रशांत किशोर की नाराजगी के बाद 15 दिसंबर को सीएम नीतीश कुमार और पीके के बीच दो घंटे तक बातचीत हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने कहा कि नागरिकता कानून पर मेरा रुख पहले जैसा ही है। मैंने इसे सार्वजनिक रूप से कहा था। इसके बाद जेडीयू प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू एनआरसी पर सरकार के साथ नहीं है।
गौरतलब है कि जेडीयू ने नागरिकता बिल पर संसद में सरकार का साथ दिया था। हालांकि इसे लेकर पार्टी में ही विरोध के स्वर उठे। प्रशांत किशोर ने ट्वीट कर कहा था कि बिल को समर्थन देने से मैं निराश हूं। निराशा जाहिर करते हुए उन्होंने कहा था कि विधेयक लोगों से धर्म के आधार पर भेदभाव करता है। वहीं, वरिष्ठ नेता पवन वर्मा ने भी इस पर पार्टी के स्टैंड पर सवाल उठाए थे।
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