न्यूज डेस्क
‘जब मैं बच्ची थी, जब मेरी मां और मेरे पिता बच्चे थे, जब मेरे दादा-दादी, नाना-नानी युवा थे, कश्मीर के लोग तभी से संघर्ष की स्थिति में जी रहे हैं।’
यह बयान मलाला यूसुफजई का है। पाकिस्तानी मूल की मानवाधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई ने कश्मीर मुद्दे पर ट्वीट करते हुए कश्मीरी महिलाओं और बच्चों के लिए चिंता जतायी है और जम्मू-कश्मीर की समस्या का समाधान शांतिपूर्वक ढूढऩे की सलाह दी है।
सबसे कम उम्र में नोबेल पुरस्कार पाने वाली मलाला यूसुफजई (22) ने कहा कि वह कश्मीर की फिक्र करती हैं क्योंकि दक्षिण एशिया उनका घर है, एक ऐसा घर जिसे वे कश्मीरियों समेत 1.8 अरब लोगों के साथ साझा करती हैं।
मलाला ने कहा कि यह क्षेत्र विभिन्न संस्कृतियों, धर्मों, भाषाओं, व्यंजनों और परम्पराओं का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि हम सभी शांति के साथ रह सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘इस बात की कोई आवश्यकता नहीं है कि हम पीड़ा सहें और एक दूसरे को नुकसान पहुंचाएं।’
The people of Kashmir have lived in conflict since I was a child, since my mother and father were children, since my grandparents were young. pic.twitter.com/Qdq0j2hyN9
— Malala (@Malala) August 8, 2019
मलाला ने कहा कि उन्हें कश्मीर में मुख्य रूप से महिलाओं और बच्चों की चिंता है क्योंकि उन्हें हिंसा का आसानी से शिकार बनाया जा सकता है और इस संघर्ष में उन्हें ही सर्वाधिक नुकसान होने की आशंका है।
उन्होंने सभी दक्षिण एशियाई देशों, अंतरराष्ट्रीय समुदाय और प्राधिकारियों से उनकी पीड़ा पर प्रतिक्रिया देने की अपील की।
मलाला ने कहा, ‘हमारे बीच कोई भी मतभेद क्यों न हो। हमें कश्मीर में सात दशक पुराने संघर्ष को शांतिपूर्वक सुलझाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।’
गौरतलब है केन्द्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के कई प्रावधानों को निरस्त कर दिया है और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों- जम्मू कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया है।
इस फैसले से नाराज पाकिस्तान ने बुधवार को भारतीय उच्चायुक्त को निष्कासित कर दिया था और भारत के साथ राजनयिक संबंधों को कमतर करने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत के कदम को एकतरफा और अवैध बताया है।
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