जुबिली न्यूज डेस्क
अफगानिस्तान के जलालाबाद में गोली मारकर तीन महिला मीडिया कर्मियों की हत्या कर दी गई है। तीनों महिलाओं की हत्या दो अलग अलग हमलों में हुई।
जिन तीनों महिलाओं की हत्या की गई है वो एनिकास टीवी के लिए काम करती थीं। चैनल के निदेशक जलमई लतीफी ने बताया कि तीनों महिला चैनल के डबिंग विभाग में काम करती थीं।
उन्होंने बताया कि जिस समय उन्हें गोली मारी गई उस समय वे दफ्तर से अपने घर पैदल जा रही थीं।
अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति पर बातचीत शुरू होने के बाद इस तरह की हत्याओं की संख्या बढ़ गई है।
नांगरहार प्रांत के अस्पताल के एक प्रवक्ता जहीर आदेल ने भी इन हत्याओं की पुष्टि की है। वहीं तालिबान के एक प्रवक्ता ने संगठन के इन हत्याओं में शामिल होने से इनकार किया है।
लेकिन इस्लामिक स्टेट के स्थानीय सहयोगी संगठन ने इन महिलाओं की हत्या की जिम्मेदारी ली है। अपने बयान में संगठन ने कहा है कि मारे गए पत्रकार एक ऐसे मीडिया संगठन के लिए काम करते थे जो “धर्मभ्रष्ट अफगान सरकार के प्रति वफादार है।”
अफगानिस्तान में पिछले कुछ महीनों में पत्रकारों, धार्मिक विद्वानों, ऐक्टिविस्टों और जजों की हत्याएं बढ़ गई हैं, जिसकी वजह से कई तो छिपने पर मजबूर हो गए हैं।
वहीं कई लोग देश छोड़कर भी चले गए हैं। अफगान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता शुरू होने ने उम्मीद थी कि हिंसा में कमी आएगी, लेकिन बातचीत करने के बाद भी हत्याओं में बढ़ोतरी ही हुई है।
इस हिंसा के लिए अफगान और अमेरिका के अधिकारियों ने तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन तालिबान ने इन आरोपों से इनकार किया है।
अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष राजदूत जलमे खलीलजाद इसी सप्ताह अफगान नेताओं के साथ बैठक करने के लिए काबुल वापस लौटे हैं।
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अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना के पूरी तरह से हट जाने का समय करीब आ रहा है और ऐसे में पूरी कोशिश की जा रही है कि शांति वार्ता को फिर से पटरी पर लाया जाए।
अमेरिका के नए राष्ट्रपति बाइडेन ने कार्यभार संभालने के बाद खलीलजाद को अपने पद पर बने रहने के लिए कहा है। उसके बाद यह उनकी पहली अफगान यात्रा है।
उनके द्वारा कराई गई संधि के अनुसार अमेरिकी सैनिकों को मई तक अफगानिस्तान छोड़ देना है। संधि के अनुसार तालिबान को भी आतंकवादियों को किसी भी इलाके का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं देनी है।
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लेकिन बाइडेन प्रशासन की देख रेख में इस संधि का भविष्य साफ नहीं दिख रहा है। व्हाइट हाउस कह चुका है की संधि पर पुनर्विचार किया जाएगा। वहीं कुछ जानकार कह चुके हैं कि अगर अमेरिका अफगानिस्तान से जल्दबाजी में निकला तो इससे देश में पहले से भी ज्यादा अशांति फैल सकती है।